- भारत और चीन के बीच सीमा विवाद रहा है और इस वजह से कई बार संघर्ष भी हुए हैं. 1962 का चीन-भारतीय युद्ध, 1967 में नाथू ला और चो ला में सीमा संघर्ष, और 1987 का सुमदोरोंग चू गतिरोध कुछ ऐसे ही संघर्ष रहे हैं.
- 2020 में भारत ने चीनी सामानों पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिससे दोनों देशों के संबंधों में गिरावट आई थी. हालांकि, बाद में दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बंदूकों के इस्तेमाल को रोका गया.
- भारत और चीन के बीच व्यापार अरबों डॉलर का है. साल 2008 में चीन भारत का सबसे बड़ा बिज़नेस पार्टनर बन गया था.
- भारत और चीन के बीच सीमा रेखा को मैकमोहन रेखा कहते हैं. इसका नाम सर हेनरी मैकमोहन के नाम पर रखा गया था.
- भारत को चीन से जुड़ी कुछ चिंताएं हैं. भारत को लगता है कि चीन अपने ख़िलाफ़ आक्रामक हो सकता है.
- भारत ने चीन से खराब क्वालिटी के आयात को रोकने के लिए कठोर मानदंड लागू किए हैं.
- भारत ने चीन की कंपनियों को सड़क परियोजनाओं में हिस्सा लेने से रोक दिया है.
वर्तमान में भारत और चीन के संबंध कैसे हैं?
चीन और भारत के बीच अरबों डॉलर का व्यापार है। 2008 में चीन भारत का सबसे बड़ा बिज़नेस पार्टनर बन गया था। 2014 में चीन ने भारत में 116 बिलियन डॉलर का निवेश किया जो 2017 में 160 बिलियन डॉलर हो गया। 2018-19 में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार करीब 88 अरब डॉलर रहा। सन 2022 मनमुटाव के करणवंश काफी हानी हुआ था ।लेकिन अब धीरे धीरे भारत चीन के व्यापारिक समझौते मे इजाफा देखने को मिल रहा है ।
भारत व चीन के बीच तनाव का मुख्य कारण क्या है जानिए ,
दोनों देश बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए भी प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं सीमा पर, जिसे वास्तविक नियंत्रण रेखा के रूप में भी जाना जाता है। भारत द्वारा उच्च ऊंचाई वाले हवाई अड्डे तक नई सड़क का निर्माण, तनाव के मुख्य कारणों में से एक माना जा रहा है। चीनी सैनिकों के साथ 2020 की घातक झड़प .
भारत-चीन संबंधों के रास्ते में कौन-कौन से अवरोध हैं।
और समकालीन चीन और भारत के बीच संबंधों की विशेषता सीमा विवादों से रही है, जिसके परिणामस्वरूप तीन सैन्य संघर्ष हुए – 1962 का चीन-भारतीय युद्ध , 1967 में नाथू ला और चो ला में सीमा संघर्ष और 1987 का सुमदोरोंग चू गतिरोध । 2013 से , सीमा विवाद दोनों देशों के आपसी संबंधों में केंद्रीय स्तर पर उभरे हैं।
भारत और चीन के बीच कौन सा समझौता हुआ था ये भी जानिए ।
पंचशील समझौता, जिसे शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पाँच सिद्धांतों के रूप में भी जाना जाता है, भारत और चीन के बीच एक समझौता है जिस पर 1954 में हस्ताक्षर किए गए थे। ये पाँच सिद्धांत इन दोनों देशों के बीच संबंधों के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं और द्विपक्षीय संबंधों के लिए आधार बने हुए हैं।इसके अलावा बहुत सी छोटी छोटी समस्याए और उसका निवारण हमेशा चलता ही रहता है ।
भारत और चीन के बीच संबंध क्या है जानिए ।
1 अप्रैल 1950 को भारत और चीन ने राजनयिक संबंध स्थापित किए। 1954 में दोनों देशों ने संयुक्त रूप से पंचशील (शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के पांच सिद्धांत) की व्याख्या की। भारत और चीन ने 1 अप्रैल 2020 को उनके बीच 1950 से अब तक राजनयिक संबंधों की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ के रूप में चिह्नित किया था।
भारत और चीन के बीच की सीमा रेखा को क्या कहते हैं?
मैकमोहन रेखा पूर्वी-हिमालय क्षेत्र के चीन-अधिकृत एवं भारत अधिकृत क्षेत्रों के बीच सीमा चिह्नित करती है। यही सीमा-रेखा 1962 के भारत-चीन युद्ध का केन्द्र एवं कारण थी। यह क्षेत्र अत्यधिक ऊँचाई का पर्वतीय स्थान है, जो मानचित्र में लाल रंग से दर्शित है।
भारत और चीन के बीच पंचशील समझौता क्या है चलिए जानते है ।
संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए आपसी सम्मान, आपसी गैर-आक्रामकता, एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में गैर-हस्तक्षेप, समानता और पारस्परिक लाभ, और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व पंचशील संधि के पांच सिद्धांत हैं।
भारत और चीन के बीच पंचशील समझौता, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को बेहतर बनाने के लिए किया गया था. यह समझौता 29 अप्रैल, 1954 को हुआ था. इस समझौते पर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और चीन के पहले प्रधानमंत्री चाऊ एन-लाई ने हस्ताक्षर किए थे. पंचशील समझौते के पांच सिद्धांत हैं: एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना, अनाक्रमण संधि, एक-दूसरे के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप न करना, समानता के साथ-साथ पारस्परिक लाभ, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व.
- पंचशील समझौते के तहत, चीन को दिल्ली, कोलकाता, और कलिम्पोंग जैसे कुछ भारतीय शहरों में व्यापार एजेंट स्थापित करने का अधिकार मिला था.
- दोनों देशों को मुक्त व्यापार की आज़ादी और अपने उद्यमों को चलाने की आज़ादी मिली थी.
- पंचशील समझौते के तहत, सभी देशों को एक-दूसरे के साथ समानता का व्यवहार करना था.
- पंचशील समझौते के तहत, सभी देशों को शांति बनाए रखनी थी और एक-दूसरे के अस्तित्व पर किसी तरह का संकट नहीं पैदा करना था.
क्या आप को पता है भारत और चीन के बीच कौन सी नदी बहती है?
ब्रह्मपुत्र नदीयह नदी चीन, भारत, और बांग्लादेश से होकर बहती है. चीन में इसे यालुज़ांगबू या त्सांगपो कहा जाता है. यह भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी है.
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सिंधु नदीयह नदी पाकिस्तान, भारत (जम्मू और कश्मीर), और चीन (पश्चिमी तिब्बत) से होकर बहती है. यह एशिया की सबसे लंबी नदियों में से एक है.
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गलवान नदीयह नदी चीन द्वारा प्रशासित विवादित अक्साई चीन क्षेत्र से भारत के लद्दाख तक बहती है. यह काराकोरम रेंज के पूर्वी हिस्से में से निकलती है और श्योक नदी में मिल जाती है.
भारत और चीन के बीच इन नदियों से जुड़े कुछ और तथ्य:- भारत और चीन के बीच इन नदियों पर हाइड्रोलॉजिकल जानकारी देने के लिए समझौते हुए हैं.
- सतलुज नदी पर समझौता ज्ञापन नवंबर, 2020 में खत्म हो गया था.
- ब्रह्मपुत्र नदी पर पिछली कार्यान्वयन योजनाओं पर हस्ताक्षर 13 जून, 2019 को अहमदाबाद में हुए
भारत और चीन के बीच की सीमा का क्या नाम है?
भारत और चीन के बीच की सीमा रेखा का नाम मैकमोहन रेखा है. इसका नाम सर हेनरी मैकमोहन के नाम पर रखा गया था. सर हेनरी मैकमोहन, इस रेखा को तय करने के लिए भारत के विदेश सचिव और ब्रिटिश मध्यस्थ थे. यह रेखा, चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य से होकर गुज़रती है.
भारत इसे एक स्थायी राष्ट्रीय सीमा मानता है, जबकि चीन इसे स्वीकार करने से इनकार करता है.चीन, भारत और चीन के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा के लिए विवाद करता है.पूर्वी क्षेत्र में, चीन अरुणाचल प्रदेश राज्य में लगभग 90,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र के संबंध में दावा करता है.
भारत और चीन के बीच सीमा रक्षा सहयोग समझौते पर अक्टूबर 2013 में हस्ताक्षर किए गए थे.अक्टूबर 2024 में, भारत ने घोषणा की कि वह सीमा क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त व्यवस्था पर एक समझौते पर पहुँच गया है.
आइए जानते है गंगा नदी को चीन में क्या कहा जाता है?
गंगा नदी को चीन में मबजा जांगबो या मबजा त्सांगपो के नाम से जाना जाता है. यह करनाली नदी के ऊपरी हिस्से का नाम है. यह नेपाल में घाघरा (करनाली) नदी से मिलती है और अंत में भारत में गंगा नदी में मिल जाती है.
भारत के कितने राज्यों की सीमा चीन को स्पर्श करती है?
भारत के पांच राज्यों की सीमा चीन से लगती है: जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश.
भारत और चीन की सीमा 3,488 किलोमीटर लंबी है.यह सीमा तीन सेक्टरों में बंटी हुई है:पश्चिमी सेक्टर – जम्मू-कश्मीर, मिडिल सेक्टर – हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड, पूर्वी सेक्टर – सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश.
भारत और चीन के बीच सीमांकन पूरी तरह से नहीं हुआ है.दोनों देशों के बीच कई इलाकों को लेकर मतभेद हैं.जैसे, भारत अक्साई चिन पर अपना दावा करता है, लेकिन यह इलाका फ़िलहाल चीन के नियंत्रण में है.इसी तरह, चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता है और मैकमोहन रेखा को भी नहीं मानता.भारत और चीन के बीच में कौन सी दीवार है?
राजस्थानमे कुम्भलगढ की दीवार लगभग ३६कि.मी कि है ,
भारत और चीन के बीच की सीमा रेखा को मैकमोहन रेखा कहा जाता है. इसका नाम सर हेनरी मैकमोहन के नाम पर रखा गया था, जो मुख्य ब्रिटिश वार्ताकार थे. तिब्बत और ग्रेट ब्रिटेन के बीच शिमला सम्मेलन (अक्टूबर 1913-जुलाई 1914) के अंत में इस रेखा पर बातचीत हुई थी.
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के बारे में कुछ और जानकारीः- लद्दाख का करीब 38 हज़ार वर्ग किलोमीटर ज़मीन पर चीन का कब्ज़ा है, जिसे अक्साई चिन कहा जाता है.
- भारत और चीन के बीच कई इलाकों को लेकर सीमा विवाद है.
- भारत और चीन के बीच मिडिल सेक्टर में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड है, जो 545 किलोमीटर लंबा है.
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- चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता है और कहता है कि यह दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है.
- चीन तिब्बत और अरुणाचल प्रदेश के बीच की मैकमोहन रेखा को भी नहीं मानता.
- चीन का कहना है कि 1914 में जब ब्रिटिश भारत और तिब्बत के प्रतिनिधियों ने ये समझौता किया था, तब वो वहां मौजूद नहीं था.
भारत और चीन के बीच वेस्टर्न सेक्टर में लद्दाख है, जो चीन के साथ 1,597 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है.
भारत का कौन सा हिस्सा चीन के पास है?
भारत का लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश, चीन के साथ सीमा साझा करता है. लद्दाख और चीन के बीच की सीमा 1,597 किलोमीटर लंबी है. लद्दाख का करीब 38 हज़ार वर्ग किलोमीटर इलाका चीन के कब्ज़े में है, जिसे अक्साई चिन कहा जाता है. भारत इस पर अपना दावा करता है और इसे लद्दाख का उत्तर-पूर्वी हिस्सा मानता है. चीन ने इसे प्रशासनिक रूप से शिनजियांग प्रांत के काश्गर विभाग के कार्गिलिक ज़िले का हिस्सा बनाया है.
- चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता है और कहता है कि यह दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है.
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