PM मोदी भारत-श्रीलंका संबंधों को एक नई दिशा प्रदान किये है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की श्रीलंका यात्रा (अप्रैल 2025)
आपकी जानकारी के लिए बता दे की दक्षिण एशिया की भू-राजनीति में भारत और श्रीलंका के संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। अप्रैल 2025 में PM मोदी मोदी की श्रीलंका यात्रा ने न केवल इन संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुँचाया, बल्कि यह चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच भारत की “पड़ोसी पहले” नीति का सशक्त उदाहरण भी बनी। इस तीन दिवसीय यात्रा के दौरान ऊर्जा, रक्षा, डिजिटल सहयोग, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और आर्थिक साझेदारी के कई नए अध्याय जुड़े।
क्या है PM मोदी का मुख्य उदेस्य श्रीलंका दौरे का?
PM मोदी 4 अप्रैल 2025 को श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में कदम रखा। वहां उनका भव्य स्वागत हुआ। श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुर कुमारा डिसानायके और प्रधानमंत्री डॉ. हरिनी अमरासूर्या ने उन्हें औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया।
इस यात्रा के दौरान मोदी ने श्रीलंका के शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठकें कीं, द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए, ऊर्जा और रक्षा परियोजनाओं का उद्घाटन किया, धार्मिक स्थलों का दौरा किया, और भारतीय मूल के समुदाय से भी संवाद किया।
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PM मोदी श्रीलंका दौरे में प्रमुख उपलब्धियाँ
1. त्रिंकोमाली ऊर्जा हब: भारत-यूएई-श्रीलंका त्रिपक्षीय साझेदारी
इस यात्रा का सबसे उल्लेखनीय पहलू त्रिंकोमाली बंदरगाह पर बनने वाला ऊर्जा हब है। भारत, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात ने मिलकर एक अत्याधुनिक मल्टी-प्रोडक्ट एनर्जी हब विकसित करने का फैसला लिया है। इस परियोजना का नेतृत्व इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन की श्रीलंकाई शाखा करेगी।
इनके लाभ:
श्रीलंका की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूती।
चीन के हम्बनटोटा बंदरगाह परियोजना के विकल्प के रूप में त्रिंकोमाली का विकास।
भारत-यूएई के बढ़ते वैश्विक रणनीतिक संबंधों का विस्तार।
यह परियोजना श्रीलंका को ईंधन आयात पर निर्भरता से मुक्ति दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। साथ ही, यह भारत की हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक पहुंच को भी मजबूत करती है।
2. नवीकरणीय ऊर्जा का विस्तार: 120 मेगावाट की सौर परियोजना
PM मोदी ने श्रीलंका के उत्तरी और पूर्वी हिस्सों में 120 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना का उद्घाटन किया। इस परियोजना को भारत सरकार की सहायता और तकनीकी विशेषज्ञता से लागू किया गया है।
क्या होंगे प्रभाव?
श्रीलंका के ग्रामीण इलाकों में बिजली की उपलब्धता बढ़ेगी।
जलवायु परिवर्तन से निपटने में सहायता।
जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता में कमी।
यह परियोजना भारत की International Solar Alliance पहल के अनुरूप है और श्रीलंका को नवीकरणीय ऊर्जा की ओर प्रेरित करती है।
3. रक्षा सहयोग: समुद्री सुरक्षा और सामरिक साझेदारी
भारत और श्रीलंका के बीच एक व्यापक रक्षा समझौता हुआ, जिसमें निम्न बिंदुओं पर सहमति बनी:
श्रीलंकाई नौसेना को भारतीय जहाजों की आपूर्ति।
संयुक्त समुद्री अभ्यास और प्रशिक्षण।
तटीय सुरक्षा हेतु तकनीकी सहायता।
यह सहयोग भारत की “SAGAR” (Security and Growth for All in the Region) नीति का विस्तार है। श्रीलंका की समुद्री सीमा की सुरक्षा, खासकर चीन की नौसैनिक गतिविधियों के संदर्भ में, भारत के लिए अत्यंत रणनीतिक महत्व रखती है।
4. आर्थिक सहायता और ऋण पुनर्गठन
श्रीलंका हाल ही में गहरे आर्थिक संकट से गुज़रा है। भारत ने न केवल आवश्यक खाद्य और दवाइयों की आपूर्ति की, बल्कि IMF और विश्व बैंक के साथ मिलकर श्रीलंका को वित्तीय राहत दिलाने में सक्रिय भूमिका निभाई।
क्या रही भारत की आर्थिक भूमिका?
$4 बिलियन से अधिक की आपातकालीन सहायता।
द्विपक्षीय ऋण में पुनर्गठन हेतु प्रतिबद्धता।
व्यापार में आसानी और निवेश बढ़ाने के उपाय।
PM मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत का उद्देश्य “साझेदारी के साथ आगे बढ़ना है, न कि ऋण के जाल में फँसाना।”
5. डिजिटल इंडिया का विस्तार श्रीलंका तक
भारत श्रीलंका को डिजिटल बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में सहयोग प्रदान कर रहा है। इस यात्रा में दोनों देशों के बीच डिजिटल भुगतान प्रणाली, ई-गवर्नेंस और हेल्थकेयर IT पर सहमति बनी।
महत्वपूर्ण पहल:
BHIM-UPI आधारित भुगतान प्रणाली का श्रीलंका में पायलट लांच।
टेलीमेडिसिन नेटवर्क का विस्तार।
डिजिटल शिक्षा के लिए भारतीय प्लेटफॉर्म की साझेदारी।
इससे दोनों देशों के आम नागरिकों को डिजिटल सेवाओं का लाभ मिल सकेगा।
6. स्वास्थ्य सेवाओं में सहयोग
भारत ने श्रीलंका को आवश्यक दवाएं, मेडिकल उपकरण और वैक्सीनेशन सहायता पहले ही प्रदान की थी। इस यात्रा में दोनो देशों ने हेल्थ डेटा मैनेजमेंट, प्रशिक्षण और टेलीमेडिसिन के क्षेत्रों में सहमति जताई।
7. सांस्कृतिक और धार्मिक कूटनीति
भारत और श्रीलंका की सांस्कृतिक जड़ें हजारों साल पुरानी हैं। विशेषकर बौद्ध धर्म दोनों देशों के बीच एक आध्यात्मिक सेतु का काम करता है।
PM मोदी ने अपने यात्रा के अंतिम दिन श्रीलंका के पवित्र स्थल अनुराधापुरा में जया श्री महा बोधि का दर्शन किया। यह वही बोधि वृक्ष है जो गौतम बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति से जुड़ा हुआ है।
क्या होंगे प्रभाव?
बौद्ध धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा।
तमिल और सिंहली समुदायों के बीच सौहार्द।
सांस्कृतिक विश्वास का पुनर्निर्माण।
8. तमिल मुद्दे पर भारत की संवेदनशीलता
भारत ने तमिल समुदाय के अधिकारों और कल्याण के मुद्दे को एक बार फिर प्रमुखता से उठाया। प्रधानमंत्री मोदी ने ज़ोर दिया कि सभी समुदायों को समान अवसर और न्याय मिलना चाहिए।
राजनीतिक और रणनीतिक संदर्भ
श्रीलंका भारत की “नेबरहुड फर्स्ट” और “एक्ट ईस्ट” नीतियों में अहम स्थान रखता है। साथ ही, चीन की आक्रामक निवेश नीति और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत श्रीलंका में हो रहे भारी निवेश भारत के लिए चिंता का विषय हैं।
PM मोदी की यह यात्रा चीन के प्रभाव को संतुलित करने की रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है। भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह सिर्फ ‘बड़े भाई’ की भूमिका नहीं निभाना चाहता, बल्कि एक भरोसेमंद साझेदार बनना चाहता है।
संबंधों की पुनर्परिभाषा
PM मोदी की अप्रैल 2025 की श्रीलंका यात्रा भारत-श्रीलंका संबंधों के एक नए युग की शुरुआत है। यह यात्रा सिर्फ औपचारिक कूटनीति नहीं, बल्कि समग्र विकास, साझेदारी, संस्कृति और विश्वास का प्रतिनिधित्व करती है।
भविष्य में यह यात्रा एक मॉडल बन सकती है कि किस प्रकार क्षेत्रीय सहयोग और साझा विरासत को आधार बनाकर दो देश मिलकर शांति, विकास और स्थिरता की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।