आपकी जानकारी के लिए बता दे की अभी तक का भारतीय शेयर बाजार में 7 अप्रैल 2025 की ऐतिहासिक गिरावट हुई है, पढ़े पूरी खबर
शेयर बाजार का महत्व
शेयर बाजार किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का आईना होता है। यह न केवल कॉर्पोरेट कंपनियों की सेहत दर्शाता है, बल्कि आम नागरिकों की उम्मीदों और भरोसे का भी प्रतीक होता है। जब बाजार चढ़ता है, तो निवेशकों की जेब भरती है, और जब गिरता है, तो डर, अफवाह और अनिश्चितता का माहौल बन जाता है। 7 अप्रैल 2025 को भारतीय शेयर बाजार में जो हुआ, उसने दशकों पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए।
7 अप्रैल 2025: गिरावट का दिन
सुबह जब बाजार खुला तो किसी को अंदाजा नहीं था कि दिन का अंत इतना डरावना होगा। सेंसेक्स दिनभर में करीब 4000 अंक गिरकर 72,476 पर बंद हुआ और निफ्टी 934 अंक की गिरावट के साथ 21,970 पर आ गया। यह एक दिन की सबसे बड़ी गिरावटों में गिना गया, जो निवेशकों के लिए किसी झटके से कम नहीं था।
लाखों निवेशकों की मेहनत की कमाई चंद घंटों में पिघल गई। सोशल मीडिया पर हैशटैग #MarketCrash ट्रेंड करने लगा, और निवेशक समुदाय में हड़कंप मच गया।
क्या है शेयर बाजार में गिरावट के प्रमुख कारण?
1. वैश्विक व्यापार युद्ध की धमक
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन और यूरोपियन यूनियन पर नए टैरिफ लगाने का ऐलान किया, जिससे वैश्विक निवेशकों में डर फैल गया। अमेरिका-चीन के बीच व्यापारिक तनाव से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है, और भारत इससे अछूता नहीं रहा।
2. अमेरिका में मंदी की आशंका
हाल ही में आई रिपोर्ट्स ने अमेरिकी GDP में गिरावट की ओर इशारा किया। इसका असर वैश्विक निवेश धारणा पर पड़ा, और निवेशक सुरक्षित ठिकानों (जैसे सोना और डॉलर) की ओर भागे।
3. भारतीय रुपये की कमजोरी
डॉलर के मुकाबले रुपया 83.10 के स्तर तक गिर गया। इससे विदेशी निवेशकों का भरोसा डगमगाया और उन्होंने भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालना शुरू किया।
4. टाटा मोटर्स पर असर
टाटा मोटर्स की सहायक कंपनी JLR (Jaguar Land Rover) ने अमेरिका को निर्यात रोक दिया। इससे कंपनी के शेयरों में 10% की गिरावट आ गई।
5. FII की भारी बिकवाली
7 अप्रैल को अकेले विदेशी निवेशकों ने ₹14,000 करोड़ की बिकवाली की, जो पिछले दो वर्षों में सबसे बड़ा आंकड़ा था।
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कौन-कौन से सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुए?
1. IT सेक्टर:
Wipro, Infosys, TCS जैसी कंपनियों के शेयरों में 5-8% की गिरावट आई। अमेरिकी मंदी की आशंका और डॉलर की अस्थिरता ने इस सेक्टर को झटका दिया।
2. मेटल सेक्टर:
JSW Steel, Hindalco, Vedanta जैसी कंपनियों के शेयर औंधे मुंह गिरे। चीन की मांग कमजोर होने की आशंका से यह सेक्टर पहले से ही दबाव में था।
3. ऑटो सेक्टर:
टाटा मोटर्स, महिंद्रा और मारुति के स्टॉक्स में 6-10% की गिरावट दर्ज की गई।
4. बैंकिंग और फाइनेंस:
HDFC Bank, ICICI, SBI जैसी बड़ी बैंकों के शेयरों में भारी गिरावट आई क्योंकि निवेशक जोखिम से बचने के लिए वित्तीय स्टॉक्स से बाहर निकलने लगे।
5. आम निवेशकों के अनुभव: डर और अनिश्चितता
सोनिया वर्मा, जो एक मिडल क्लास निवेशक हैं, कहती हैं:
“मेरे पोर्टफोलियो में 15% का नुकसान हुआ है एक ही दिन में। मैं समझ नहीं पा रही हूं कि अब क्या करूं – रुकूं या बेच दूं।”
ट्विटर और फोरम्स पर हजारों निवेशकों ने अपनी पीड़ा साझा की। कुछ लोगों ने SIP रोक दी, तो कुछ ने अपने निवेश वापस ले लिए। यह डर की एक लहर थी।
6. विशेषज्ञों की राय: यह डरावना है, पर स्थायी नहीं
राकेश सिंघल, एक अनुभवी निवेश विश्लेषक कहते हैं:
“यह गिरावट शॉर्ट टर्म है। बाजार में गिरावट हमेशा एक अवसर होती है। मजबूत कंपनियों में निवेश जारी रखें।”
ICICI Securities की रिपोर्ट में कहा गया:
“हालांकि निकट भविष्य में और गिरावट संभव है, लेकिन मिड से लॉन्ग टर्म में भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव मजबूत है।”
7. इतिहास की झलक: ऐसी गिरावट पहले भी आई है।
1. 2008 (ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस): सेंसेक्स 21,000 से गिरकर 8,000 तक आ गया था।
2. 2020 (कोविड-19 महामारी): मार्च 2020 में सेंसेक्स एक ही दिन में 3,900 अंक गिरा था।
हर बार बाजार ने खुद को संभाला और नई ऊंचाइयों को छुआ।
8. आम निवेशकों के लिए सलाह
घबराएं नहीं:
बाजार हमेशा ऊपर-नीचे होते रहते हैं। डर के मारे बेचना नुकसानदायक हो सकता है।
SIP जारी रखें:
अगर आप SIP करते हैं तो इसे रोकिए मत। गिरते बाजार में SIP ज्यादा यूनिट्स खरीदता है, जिससे लॉन्ग टर्म रिटर्न बेहतर होता है।
मजबूत कंपनियों पर भरोसा:
Blue-chip कंपनियां जैसे Reliance, Infosys, HDFC Bank आदि पर भरोसा बनाए रखें।
इमरजेंसी फंड रखें:
कम से कम 6 महीने का खर्च अलग रखकर निवेश करें ताकि बाजार में गिरावट के समय आपको बेचने की जरूरत न पड़े।
9. सरकार और RBI की भूमिका
सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस गिरावट पर नज़र रखी है। RBI ने संकेत दिए हैं कि अगर वित्तीय प्रणाली पर ज्यादा दबाव आता है तो वह हस्तक्षेप कर सकता है।
वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा:
“भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर है। यह गिरावट बाहरी कारणों से है, और हमारा फोकस निवेशकों के विश्वास को मजबूत करना है।”
10. आगे क्या? क्या बाजार फिर उठेगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट स्थायी नहीं है। अगले 3 से 6 महीनों में बाजार में स्थिरता आने की उम्मीद है। कई कंपनियों के Q4 रिजल्ट आने वाले हैं, जो बाजार को नई दिशा दे सकते हैं।
बाजार में हर गिरावट अपने साथ अवसर भी लाती है। समझदारी यही है कि निवेशकों को धैर्य रखना चाहिए और लॉन्ग टर्म दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
डर के आगे उम्मीद है।
7 अप्रैल 2025 भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में एक यादगार दिन बन गया है – लेकिन नकारात्मक रूप से। हालांकि यह दिन कई लोगों के लिए तनाव और नुकसान लेकर आया, पर यह भी सिखाता है कि बाजार भावनाओं से नहीं, योजना से जीता जाता है।
अगर आप मजबूत कंपनियों में निवेश करते हैं, अपने लक्ष्यों के प्रति ईमानदार हैं और धैर्य रखते हैं – तो बाजार की गिरावट आपके लिए अवसर बन सकती है।
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