“Tahawwur Rana Extradited to India: 26/11 का गुनहगार अब नहीं बचेगा | पढ़िए पूरा सच”

26/11 के मास्टरमाइंड Tahawwur Rana को भारत लाया गया है। जानिए उसकी पूरी कहानी, हेडली से रिश्ते, और NIA की पूछताछ की हर परत।

Tahawwur Rana

“कहते हैं वक्त सबका हिसाब रखता है। और जब इंसाफ का पहिया घूमता है, तो सबसे तेज़ वही दौड़ता है जिसके पांव में सबसे ज़्यादा कीचड़ हो। तहव्वुर राणा का नाम याद है? वही जो दोस्ती के नाम पर आतंक की डील करता था, अब उसी का टिकट कट चुका है – सीधे भारत की जेल का!”

कौन है Tahawwur Rana?

तहव्वुर हुसैन राणा – दिखने में एक शरीफ डॉक्टर, पर असल में एक चालाक प्लानर, और लश्कर-ए-तैयबा का पर्दे के पीछे का साथी।
पाकिस्तान में जन्मा, फिर कनाडा और अमेरिका में बसकर इमिग्रेशन कंसल्टेंसी का धंधा जमाया। लेकिन असली मकसद था – भारत के खिलाफ खुफिया जाल बुनना।

ताज्जुब की बात ये कि राणा आर्मी मेडिकल कोर में कप्तान रह चुका है। पर जब दोस्ती की लाइन लांघकर आतंक की गली में घुसा, तो वहीं से उसका नाम काली किताब में दर्ज हो गया।
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डेविड हेडली: बचपन का दोस्त, साज़िश का साथी

जहां तहव्वुर है, वहां डेविड हेडली जरूर होगा। ये दोनों बचपन के दोस्त थे। लेकिन जब हेडली को लश्कर-ए-तैयबा के लिए भारत में रेकी करनी थी, तो राणा का ऑफिस बना उसका कवच।
इमिग्रेशन कंपनी की आड़ में हेडली ने ताज होटल, नरीमन हाउस, CST स्टेशन और बाकी 26/11 के टारगेट्स की बारीकी से टोह ली।

और राणा? वो हेडली को “बिज़नेस ट्रैवलर” के तौर पर इंडिया भेजता रहा, जैसे कोई अपने दोस्त को वेकेशन पर भेज रहा हो।

26/11 – जब भारत काँप उठा

26 नवंबर 2008 की वो रात…
10 आतंकियों ने समुंदर के रास्ते मुंबई में घुसकर कहर बरपा दिया।

166 बेगुनाह मारे गए,

300 से ज़्यादा ज़ख्मी हुए,

और देश की आत्मा हिल गई।

Tahawwur Rana उस रात खुद भले दूर अमेरिका में था, लेकिन उसका भेजा हेडली और उसके दिए नक्शे, फोटो और वीडियो ने आतंकियों को रास्ता दिखाया।

अमेरिका में केस, लेकिन भारत नहीं भूला

2011 में अमेरिका ने तहव्वुर राणा को डेनमार्क में हमले की साजिश के लिए 14 साल की सजा सुनाई।
पर भारतीय एजेंसियों ने हार नहीं मानी।
उन्होंने अमेरिका से प्रत्यर्पण (extradition) की अपील की — ताकि राणा को भी वही सलाखें दिखें, जो कसाब को दिखीं।

2025 – जब वक़्त ने करवट ली

10 अप्रैल 2025 — तारीख़ नोट कर लीजिए। यही वो दिन था जब Tahawwur Rana भारत लाया गया, और इतिहास ने एक मोड़ लिया।

दिल्ली एयरपोर्ट पर NIA की स्पेशल टीम ने उसका स्वागत किया – हथकड़ियों के साथ।
वो राणा, जो कभी खुद को अमेरिका-कनाडा की नागरिकता का मास्टर समझता था, आज भारत के कानून का कैदी बन चुका था।

NIA की पूछताछ: अब उगलेगा हर राज़!
NIA ने तहव्वुर राणा को 18 दिन की रिमांड पर लिया है।
और इन 18 दिनों में राणा की ज़ुबान से वो राज़ निकलवाए जाएंगे:

लश्कर से कब-कैसे जुड़ा?

हेडली को क्या-क्या मदद दी?

भारत में और किन-किन लोगों से संपर्क था?

सूत्रों की मानें तो राणा अब तक बहुत कुछ “भूल चुका है”। लेकिन NIA के पास याददाश्त ताज़ा करने के कई तरीके हैं।

राजनीति भी गरमाई: “मोदी है तो मुमकिन है”

जैसे ही खबर आई कि राणा भारत में है, राजनीतिक गलियारों में भी उबाल आ गया।

गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया:

“26/11 के मास्टरमाइंड को भारत लाकर न्याय की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। यह मोदी सरकार की कूटनीतिक ताकत का सबूत है।”

विपक्ष ने सवाल भी उठाए – “इतने साल क्यों लगे?”, “क्या ये चुनावी स्टंट है?”
पर देश का आम नागरिक कह रहा है – “देर हुई, लेकिन अब न्याय दिखेगा।”

क्या रही लोगों की प्रतिक्रिया? ट्विटर से टीवी तक
ट्विटर पर #TahawwurRana #26_11Justice ट्रेंड करने लगा।
लोगों की भावनाएं छलक पड़ीं:

“मेरे भाई को ताज होटल में खोया… आज राणा को देख दिल को थोड़ी ठंडक मिली।”
“अब देखना है NIA क्या निकालती है… सबको अंदर तक झकझोर देगा।”
“बस इतना कहूँगा – जो भारत से टकराएगा, मिट जाएगा।”

ये सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं है

Tahawwur Rana की गिरफ्तारी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, एक मानसिकता की शिकस्त है।

वो मानसिकता जो सोचती है:

विदेश में बैठकर भारत को नुकसान पहुंचा सकते हैं

भारत कभी जवाब नहीं देगा

अब भारत बदल चुका है। जहां आतंकियों को सज़ा देने के लिए कूटनीतिक गलियों से लेकर कोर्ट रूम तक लड़ाई लड़ी जाती है — और जीत भी मिलती है।

अब क्या आगे होगा?

पूछताछ पूरी होने के बाद राणा पर चार्जशीट दायर होगी

26/11 केस में कोर्ट ट्रायल शुरू होगा

NIA और IB की रिपोर्ट्स के आधार पर बाकी नेटवर्क का भी पर्दाफाश होगा

और सबसे बड़ी उम्मीद – पीड़ितों को न्याय मिलेगा, और देश को संतोष।

https://en.wikipedia.org/wiki/Tahawwur_Hussain_Rana

” Tahawwur Rana की कहानी एक चेतावनी है – देश से गद्दारी करने वालों को पनाह कहीं नहीं मिलेगी।
बड़े-बड़े पासपोर्ट और नागरिकता भी उन्हें उस अदालत से नहीं बचा सकते, जो जनता की निगाह में चलती है।

26/11 एक जख्म है – और राणा की गिरफ्तारी वो मरहम, जिससे शायद ये घाव थोड़ा भर सके।”

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और याद रखिए, देश का दुश्मन चाहे जितना भी चालाक हो, भारत अब हर चाल का जवाब देने में माहिर है।

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